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Thursday, 19 June 2014

नारी क्या है













नारी क्या है?
ममता का वो रूप है,
जब माँ है वो
कभी छाया है कभी धुप है।
कितना रोती है वो,
जब हमें वो रुलाती है।
क्यों मारती है हमें फिर,
जब खुद चोट खाती है ?
आदमी तो हम बन जाते हैं ,
ये माँ ही तो है जो हमें इंसान बनाती है।
हमारे पसंद का खाना बनाती है।
हम भूख से ज्यादा खा लेते हैं
वो भूखी सो जाती है।

नारी क्या है?
लड़ता हुआ झगड़ता हुआ मेरा बचपन है वो।
जब बहन है वो,
मेरी सबसे बड़ी दुश्मन और सबसे अच्छा दोस्त है वो।
मेरे हाथों की राखी है वो,
 जब दूर होती है तो बहुत याद आती है वो।
उस धागे पे उसे विश्वास है।
मेरी जिम्मेदारी का वो पहला एहसास है।
उसकी हर दुआ में शामिल हूँ मैं,
वो कहती है मेरी जीत में उसकी जीत, मेरी हार में उसकी हार है।

नारी क्या है?
त्याग का वो रूप है।
अन्नपूर्णा की वो मूर्ति है,
जब पत्नी है वो।
अपने पिता की वो शान थी ,
अब मेरे घर का वो सम्मान है।
मेरे पिता का वो ख़याल है,
माँ का वो आराम है।
मेरे धूप की वो छाँव है,
मेरे जीवन का वो ठहराव है।
रूमानियत का रंग है वो ,
आधा मेरा अंग है वो।

नारी क्या है?
लौट आया वो मेरा बचपन है ,
परियों की वो कहानी है ।
सृजनता का एहसास है ,
जब बेटी है वो ।
दिवाली के दीये है वो ,
मेरे घर  रंगोली है।
लक्ष्मी का वो रूप है,
भगवती का स्वरुप है।
बारिश की पहली बूँद है वो,
खुशियों की बौछार है वो।

नारी क्या है?
 भारत माँ की परछाई है,
कभी टेरेसा कभी लक्ष्मीबाई है।
सुषमा का वो भाषण है,
किरण का अनुशासन है।
इंदिरा का नेतृत्व है वो,
लता की आवाज है।

फिर क्यों समाज में शोषित है?
उसका बचपन क्यों कुपोषित है?
भ्रूण-हत्या का वो शिकार है,
 क्यों मिलता नही उसे प्यार है?
क्या बड़ा होना उसका अपराध है?
क्यों हर विज्ञापन का वो आधार है?
क्या कपड़े उसके छोटे है?
या लोगों के नियत खोटे  है?
आधुनिकता की ये बयार है,
या  खोया हमने संस्कार है?
आधुनिकता अगर आ गई होती,
फिर बहुएँ न जलाई गई होती।
पश्चिमी सभ्यता की ये पहचान है,
या आदमी हो गया हैवान है?
रो रहा है मेरा भारत है,
खो गया है मेरा भारत।

भारत को ढूंढ के लाना है,
नैतिक मूल्यों को जगाना है।
फिर न होगा निठारी काण्ड यहां,
निर्भया का होगा सम्मान यहां।
फिर देश हमारा जागेगा,
दुर्योधन यहां से भागेगा।
द्रौपदी का न चीरहरण होगा,
सीता का न अपहरण होगा।
नारी जब पूजी जाएगी,
भारत माँ तब मुस्कायेगी।
भारत का अभ्युदय होगा,
पूरब में सूर्य उदय होगा।
जब सभ्यता का विकास होगा,
भारत नेतृत्व करेगा। 
                                Author-parth sarthi