Saturday 30 December 2017

I want to be a Human Again

  I want to be a Human Again

I was born like a human
I behaved like one
My mind was like a paper
And this world was like a pen
When I was in my childhood
This world was full of fun
Nothing was done intentionally
No motive behind the fun
My friends were innocent
We used to play and run
As I started growing
I started getting worry
Disappeared was the fun
I acted like a hero
My homework was villain
As I grew further what scared was the board
I ran for tution from lanes and through roads
My neighbors were worried when i wrote the board
But I was very lucky somehow survived the board
As I grew further I went to another city
This was a new world where I studied university
I had many friends few girls and many gents
I used to bunk classes I used to go late
I had a girlfriend We used to for date
After I got the degree I prepared for competition
Seats were few and they came with reservation
I was unemployed I faced the breakup
It broke me from inside and what healed was the liquor
I kept on preparing and finally got the job
It was a big city away from my home
People were busy and so was the road
Traffic was hectic and mind was full of load
Cars were racing and so was the life
I lived like a traveler
And they said you need a wife
When someone got accident and he was all alone
Some people were getting beaten and no one to save them on.
I passed from beside was going for my job
I was in a hurry and bothered was my soul
But I didn't stopped & left them all alone
This act was inhumane according to my soul
Those victims were wounded and so was my soul
I want to stop for them and extend the helping hand
I want to heal their wounds and I want to heal my soul
I want to act humanly and I want to feel their pain
I was born like a Human I want to be a Human again.


Tuesday 19 December 2017

आरक्षण

                   आरक्षण

फल भी बांधो जड़ो को भी मजबूत करो अब नेता जी।
राजनीति को आरक्षण से दूर करो अब नेता जी।
आरक्षण को एक पीढ़ी तक सीमित रखो नेता जी।

पिछड़ों में कुछ अगरे है , अगरो में कुछ पिछड़े है।
जो पिछड़ गए उनको खींचों सिर्फ जाति देख कर मत सींचो।
आरक्षण से विसंगतियों को दूर करो अब नेता जी।

जो अनपढ़ है उनको पढ़ाओ साक्षर और जागरूक बनाओ।
रोजगार का जाल फैला कर स्वावलम्बी उनको बनाओ।
संविधान का भेद कराकर , मौलिक कर्तव्यों से मिलाओ।
राज्य नीति निर्धारण में पिछड़ों को प्राधान्य बताओ।
प्रस्तावना का अर्थ बता के अधिकारो से बोध कराओ।
केवल आरक्षण दे कर पल्ला अपना मत झारो अब नेता जी।

पद की गरिमा ,कार्य-प्रकृति और जटिलता का रखो ख्याल।
पर्याप्त प्रशिक्षण, न्यूनतम अंक और दक्षता का हो प्रावधान।
उत्पादकता, गुणवक्ता और कार्य कुशलता मे सुधार रहे।
जन जन उभरे हर मन उभरे और समानता की बयार बहे।
आरक्षण के उद्देश्यों  को पूरा पूरा हासिल  कर लें।
ये भी बढ़ लें वो भी बढ़ लें सब मिलकर हिन्द की जय कर लें।


Tuesday 5 December 2017

                                            भारतीय बैंकों का विलयन- वरदान या अभिशाप

यह तर्क की लकड़ी  की गठरी बंधे होने पर मजबूत हो जाती है और वही लकड़िया अकेले होने पर कमजोर हो जाती है, बैंकों के विलयन के संदर्भ में अधूरा सच साबित हो सकता है।  जिसको पूरा करने के लिए विवाह का उदहारण सर्वथा उपयुक्त होगा।  जैसे विवाह के बाद नयी बहु को नये घर के तौर-तरीके सीखने के साथ-साथ खुद को और अपने  मायके के संस्कारों को भी  साबित करने की चुनौती होती है।  ठीक वैसे ही छोटे विलय होने वाले बैंकों और उनके कर्मचारियों को भी खुद को साबित करना होगा साथ-साथ मुख्य बैंक के काम करने के ढंग भी सीखने होंगे। साथ-साथ अगर नयी बहु यानी की नए बैंक अगर साथ में कोई बीमारी या कमजोरी लाते है तो बड़े बैंकों को अच्छे ससुराल वालों की तरह उनका इलाज भी  करवाना होगा।

बैंकों को विलयन के दौरान एवम बाद में निम्नलिखित चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा।

१) बैंकों की संख्या कम होने की दशा में मुख्य प्रबंध निदेशक, कार्यकारी निदेशक एवम  उच्य अधिकारीयों  के पदों में भारी गिरावट तो आएगी ही  साथ ही पदोन्नति के अवसरो में भी भारी गिरावट संभव है। वैसे में छोटे विलय हो रहे बैंकों के कर्मचारियों के हित की रक्षा एक बहुत बड़ी जिम्मेदारी होगी। साथ ही स्थानांतरण के अवसर, विभिन्न विभागों में तैनाती जैसे विषयों में पक्षपात से बचने की जिम्मेदारी भी बड़े बैंकों की होगी।

२) छोटे बैंकों को नए बैंक के काम करने के तरीके सिखने के अलावा, अपने बैंक के मूल सिद्धांत, उसकी पहचान, टैग-लाइन, यहाँ तक की स्थापना दिवस और उनके संस्थापक के सम्मान की सुरक्षा की जिम्मेदारी तो होगी ही साथ ही अपनी पहचान खोने का डर भी होगा।  ऐसे में बड़े बैंक जिसमे विलय हो रहा है उनकी जिम्मेदारी होगी की जबतक छोटे बैंक बड़े बैंक को हर तरीके से अपना न ले उनसे उनकी पहचान न छीनी जाये।

३) बैंकों के विलयन की स्थिति में शाखाओं, कार्यालयों का बंद होना तय है ऐसी दशा में पुनर्विन्यास, स्वैच्छिक सेवानिवृर्ति योजना, एवम छोटे कामगारों में कटौती बहुत बड़ी चुनौती होगी जिसका कोई हल संभव नहीं दिखता।
४) धोखे और गबन की सम्भावनाओ से भी इंकार नहीं किया जा सकता साथ ही अनुपालन एवम जोखिम प्रबंधन के क्षेत्रों में भी अंतर्राष्ट्रीय मापदंडों को हासिल करना बड़ी चुनौती साबित हो सकती है।

५) छोटे एवम क्षेत्रीय बैंकों के साथ क्षेत्र आधारित जुड़ाओ होता है, विलय के बाद उस जुड़ाओ को बचाये रखना बड़ी जिम्मेदारी होगी। साथ ही शेयर धारकों, खाता धारकों एवम सभी हित धारकों के हितों की रक्षा की जिम्मेदारी भी रहेगी।

६) तत्कालीन तौर पर काफी सारी सेवाओं के बाधित होने का खतरा तो रहेगा ही साथ ही उन सेवाओं को तुरंत लागु करने की चुनौती भी रहेगी।

बैंकों को विलयन से होने वाले फायदे

१) वित्तीय स्वास्थ्य में सुधार होने से स्वायत्ता बढ़ेगी साथ की उधार देने की क्षमता एवम आधारिक संरचना  का भी विस्तार होगा। साथ ही बेहतर संचालन, उन्नत तकनीक, बेहतर प्रबंधन  एवम बेहतर सेवाओं के साथ बैंकों को वैश्विक स्तर पर नयी पहचान मिलेगी।

२) बैंकों को उच्च मूल्य के ऋणों को सँभालने में आसानी होगी साथ ही ऐसे ऋणों की निगरानी भी आसान होगी।  जोखिम प्रबंधन में विविधता के साथ- साथ गैर निष्पादक आस्थियों का प्रबंधन भी आसान हो जायेगा।

३) गैर निष्पादक आस्थियों/बुरे ऋणों एवँ ऐसे बड़े ऋण खातों में वसूली आसान होगी , क्युकि क्षेत्र आधारित  विलय की स्थिति में  एक ही खाते में एक ही संपत्ति दो या उससे अधिक  बैंकों को बंधक दिए जाने की स्थिति में पहला शुल्क एवम एवं दूसरे शुल्क की परेशानी ख़तम हो जाएगी।  क्युकि ऐसी स्थिति में एक क्षेत्र के सभी या ज्यादातर बैंकों का विलय साथ में हो चूका होगा। साथ ही वसूली पर आने वाले खर्च में भी कमी आएगी।

४) सभी बैंकों का तकनीकी उन्नयन एवं मानव संसाधन के एकीकरण से सेवा में सुधार तय है ही साथ ही खाताधारकों एवं ग्राहकों के लिए सिर्फ कुछ बैंकों के बीच उत्पाद की व्यापक एवं नयी रेंज उपलब्ध होगी।

५) बैंकों के बीच की अनुचित प्रतियोगिता का अंत होगा।  बिना वजह जो बैंको के विस्तार के लिए बैंक के बगल में बैंक खोले गए  थे उनको बंद करके खर्चो पर नियंत्रण होगा साथ ही विलय की दशा में मुख्य प्रबंध निदेशक, कार्यकारी निदेशक एवम  उच्य अधिकारीयों  के पदों में भारी कटौती होगी उससे भी बैंकों के खर्च में काफी कमी आएगी जिसका सही इस्तेमाल हो सकेगा।

६) सरकार और  आर. बी. आई को बैंकों को नियंत्रित एवं निर्देशित करने में आसानी होगी साथ ही उच्य स्तर सेवा एवं आकार में विस्तार के बाद सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक भी निजी क्षेत्र के बैंक से कंधे से कन्धा मिला के प्रतिस्पर्धा करेंगे। एवं राष्ट्र के निर्माण में अपना बहुमूल्य योगदान देंगे।

जैसा की हम सभी जानते है की हर परिवर्तन अपने साथ कुछ अच्छे एवं कुछ बुरे परिणाम लाता  है हमें सिर्फ ये देखना होता कि उपरोक्त परिवर्तन का कुल प्रभाव क्या रहेगा।  इस मामले में भी अगर सरकार जल्दबाजी न दिखाय एवं विलयन के सभी परिणामो को देखते हुए उचित समय पर उचित कदम उठाय और बैंकों पर विलयन थोपने की बजाय बैंकों को उनकी  भौगोलिक एवं  वित्तीय सहूलियत के अनुसार विलयन को स्वयं चुनने की आजादी दे तो निश्चित तौर पर विलयन देश की अर्थव्यवस्था को सुद्रढ़ करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।