ये सपने कौन बनाता है
ये सपने कौन बनाता है, ये सपने कौन बनाता है।
कभी जल में कभी थल में क्षण में नभ में पहुंचाता है।
भूतो से मिलाता है,परियों से भेट कराता है।
कभी हंसाता है, कभी रुलाता है, कभी सारी रात डराता है।
भविष्य ये दिखाता है, अतीत मे ले जाता है।
नानी और दादी घर की यह फ्री में सैर कराता है।
नानी और दादी घर की यह फ्री में सैर कराता है।
ये सपने कौन बनाता है, ये सपने कौन बनाता है।।
जिनसे हो गए हैं दूर उन्हें पास कभी ले आता है।
दोस्तों से मिलाता है,कभी दुश्मन से लड़ाता है।
स्कूल मे ले जाता है,कभी कॉलेज मे घुमाता है।
स्कूल मे ले जाता है,कभी कॉलेज मे घुमाता है।
बीत गए बचपन को वापस ये ले आता है।
ये सपने कौन बनाता है, ये सपने कौन बनाता है।।
कुछ सपनों में अपने हैं, तो कुछ सपने ही अपने हैं।
इन सपनों की जिद में हैं अनसोए से रात कई।
कुछ जागी सी अरमाने है और सोए से हैं ख्वाब कई।
उन ख्वाबों के साए में ये रातों को जगाता है।
जी तोड़ परिश्रम और लगन नींदों से भी लड़ाता है।
ये सपने कौन बनाता है, ये सपने कौन बनाता है।।
कर्तव्य पथिक हो नर तुमको, कर्तव्य पथ पर चलना होगा।
जिन सपनों के हो शिल्पकार, उन सपनों को सच करना होगा।
संकल्पित होकर नर, जब-२ जोर लगाता है।
पोरुष के बल से, हर सपने को वह पाता है-२।
ये सपने कौन बनाता है ये सपने कौन बनाता है।।
Shandar jabardast zindabad
ReplyDeleteKya jabardast kavita hai
ReplyDeleteSuppeerrbb Awesome ����������
ReplyDeleteThanks to Sonu, Sonu & Bhabhi ji...
ReplyDelete